जानिए 27 साल के इस शख्स ने कैसे खड़ी की करोड़ों की कंपनी, अमीरों की लिस्ट में हैं शामिल

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कहते हैं की अगर किसी चीज़ को पूरे दिल से चाहो तो पूरी कायनात उसे तुमसे मिलाने की कोशिश में लग जाती है. भले ही यह एक फिल्म का डायलॉग हो लेकिन इस बात को सच साबित करके दिखाया है OYO ROOMS के फाउंडर Ritesh Agarwal ने. अगर हौसले बुलंद हों तो आपको दुनिया की कोई ताकत कामयाब होने से नहीं रोक सकती. आज हम आपको एक ऐसे ही युवा की कहानी बताने जा रहें हैं, जिसने स्टार्टअप का असली मतलब बताया है. जिस लड़के ने महज 17 साल की पढ़ाई लिखाई की उम्र में जिस कंपनी को शुरू किया था आज वह करोड़ों की कंपनी बन चुकी है. दुनिया भर में हिन्दुस्तानी ब्रांड OYO ROOMS अपनी अलग पहचान बना चुका है. OYO ROOMS इस वक़्त भी दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ता होटल चेन है.

ऐसे शुरू हुआ Ritesh Agarwal का करियर

Ritesh Agarwal का जन्म 16 नवंबर 1993  को उड़ीसा के एक छोटे से शहर बिस्सम कटक के एक व्यवसायिक परिवार में  हुआ था. बारहवीं तक की पढ़ाई उन्होंने अपने शहर में ही की. इसके बाद उनकी इच्छा IIT में दाखिले की हुई. जिसकी तैयारी के लिए वे कोटा चले गए. कोटा में वे पढ़ाई करते और जब भी अवकाश मिलता वे खूब ट्रैवल करते. यहीं से ट्रैवल में उनकी रुची बढ़ने लगी. कोटा में ही Ritesh Agarwal ने एक किताब लिखी. यह किताब देश के 100 सबसे प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग कॉलेजों के बारे में थी. इस किताब का नाम था- “Indian Engineering College: A Complete Encyclopedia of Top Engineering Colleges.”  इस किताब को देश की सबसे प्रसिद्ध ई-कॉमर्स साईट Flipkart पर सबसे अधिक पसंद किया गया. 16 साल की उम्र में उनका चुनाव मुंबई स्थित Tata Institute Of Fundamental Research  में आयोजित, Asian Science Camp  के लिए किया गया. यह कैंप एक वार्षिक संवाद मंच है जहाँ एशियाई मूल के छात्र शामिल होकर किसी क्षेत्र विशेष की समस्याओं पर विचार-विमर्श करते हैं तथा विज्ञान और तकनीक की मदद से उसका हल ढूंढा करते हैं. यहाँ भी वे छुट्टी के दिनों में खूब ट्रैवल करते और ठहरने के लिए सस्तें दामों पर उपलब्ध होटल्स का प्रयोग करते थे.

oyo rooms founder
oyo rooms founder

सस्तें होटल्स के बुरे अनुभवों को अपने बिजनेस का रूप दिया

शुरू से ही Ritesh की रूचि बिजनेस में बहुत थी और इस क्षेत्र में वे कुछ करना चाहते थे, लेकिन बिजनेस किस चीज़ का किया जाए, इस बात को लेकर वे स्पष्ट नहीं थे. कई बार वे कोटा से ट्रेन पकड़ कर दिल्ली आ जाया करते और सस्तें होटल्स में रुकते ताकि दिल्ली में होने वाले युवा-उद्यमियों के आयोजनों और सम्मेलनों में शामिल होकर नए युवा उद्यमियों और स्टार्ट-अप फाउंडर्स से मिल सके. कई बार इन इवेंट्स में शामिल होने का रजिस्ट्रेशन शुल्क इतना ज्यादा होता है की उनके लिए उसे दे पाना बहुत मुश्किल हो जाता था इसलिए कभी-कभी वो इन आयोजनों में चोरी-चुपके चले जाते. यही वो वक़्त था जब Ritesh ने ट्रैवलिंग के दौरान ठहरने के लिए इस्तेमाल किए गए सस्तें होटल्स के बुरे अनुभवों को अपने बिजनेस का रूप देने का सोचा.

ऐसे हुआ कंपनी का स्टार्टअप

साल 2012  में उन्होंने अपने पहले स्टार्टअप ‘Oravel Stays’ की शुरुआत की. इस कंपनी का उद्देश्य ट्रैवलर्स को छोटी या मध्य अवधि के लिए कम दामों पर कमरों को उपलब्ध करवाना था. जिसे कोई भी आसानी से ऑनलाइन बुक कर सकता था. कंपनी के शुरू होने के कुछ ही महीनों के अन्दर उन्हें नए स्टार्टअपस में निवेश करने वाली कंपनी Venture Nursery से 30 लाख का फण्ड भी मिल गया. उसी दौरान उन्होंने अपने इस बिजनेस आईडिया को Theil Fellowship के सह-संस्थापक पीटर थेल के ‘थेल फाउंडेशन’ द्वारा आयोजित एक वैश्विक प्रतियोगिता के सामने रखा. Ritesh इस प्रतियोगिता में दसवां स्थान प्राप्त करने में सफल रहे और उन्हें फ़ेलोशिप के रूप में लगभग 66 लाख की धनराशि प्राप्त हुई.

बहुत ही कम समय में उनके नए स्टार्टअप को मिली इन सफलताओं से वे काफी उत्साहित हुए और वे अपने स्टार्टअप पर और बारीकी से काम करने लगे, लेकिन उनका ये बिजनेस मॉडल लाभ देने में असफल रहा और ‘Oravel Stays’ धीरे-धीरे घाटे में चला गया. वे परिस्थिति को जितना सुधारने का प्रयास कर रहे थे स्थिति और खराब होती जा रही थी और अंत में उन्हें इस कंपनी को बंद करना पड़ा.

OYO ROOM
OYO ROOM

जब ‘Oravel Stays’ बन गया ‘Oyo Rooms’

Ritesh अपने स्टार्टअप के असफल होने से निराश नहीं हुए बल्कि उन्होंने अपनी योजना पर विचार करके इसकी कमियों को दूर करने का सोचा. इससे उन्हें ये अनुभव हुआ की देश में सस्ते होटल्स में कमरे मिलना या ना मिलना कोई समस्या नहीं है., कमी है होटल्स का कम पैसे में बेहतरीन मूलभूत सुविधाओं को प्रदान न कर पाना. उसी दौरान उन्हें अपनी यात्राओं के दौरान बजट होटल्स में ठहरने के उन अनुभवों को भी याद किया जब उन्हें कभी-कभी कम पैसों में ही आरामदायक और सुविधापूर्ण कमरे मिल जाते थे.

असफलता के बाद दोबारा आए नए बदलाव के साथ

इन्हीं बातों ने उन्हें फिर प्रेरित किया की वे फिर से ‘Oravel Stays’ में नए बदलाव करें और ट्रैवलर्स की सुविधाओं को ध्यान में रख उसे नए रूप में प्रस्तुत करें. फिर क्या था साल 2013 में उन्होंने फिर से Oravel को लांच किया लेकिन इस बार बिल्कुल नए नाम के साथ. अब Oravel का नाम ‘Oyo Rooms’ रखा गया. जिसका मतलब होता है ‘आपके अपने कमरे’. ‘Oyo Rooms’ का उद्देश्य ट्रैवलर्स को किसी होटल में बस कमरा मुहैया कराना भर नहीं रह गया, बल्कि होटल के कमरों की और वहां मिलने वाली मूलभूत सुविधाओं की गुणवत्ता का भी ख्याल रखा जाने लगा. अब जो भी होटल्स ‘Oyo Rooms’ के साथ जुड़ अपनी सेवाएँ देना चाहता है उसे सबसे पहले कंपनी से संपर्क करना होता है. इसके बाद कंपनी के कर्मचारी उस होटल में जा कर वहां के कमरों और अन्य सुविधाओं को देखते है. अगर वह होटल Oyo Rooms के सभी मानकों पर खरा उतरता है तभी वह Oyo के साथ जुड़ सकता है. भारतीय युवा रितेश अग्रवाल ने ओयो रूम्स जैसे कारोबार की स्थापना ऐसे समय में की थी जब दुसरे लोग इस बारे में सोच भी नहीं पा रहे थे. होटल बुकिंग के लिए सॉफ्टवेयर बनाने की वजह से OYO के माध्यम से लोगों को अपना पसंदीदा होटल कम कीमत पर पाने का मौका मिला. OYO वेंचर के सफल होने से पहले उन्हें छह बार असफलता हाथ लग चुकी थी.

रितेश अग्रवाल अमीरों की लिस्ट में हैं शामिल

आज बिना किसी के मदद के शुरू किया गया बिजनेस Oyo Rooms को रितेश अग्रवाल ने 80,000 करोड़ रूपए से ज्यादा की ऊँचाई पर पहुंचा दिया है. हुरुन रिच लिस्ट 2020 में Oyo के फाउंडर और 27 साल के सबसे युवा भारतीय रितेश अग्रवाल को भी जगह मिली है. रितेश अग्रवाल आईआईएम, आईआईटी, एचबीएस और आईवी लीग्स में पढ़े लोगों की टीम का नेतृत्व करने वाले एकमात्र ड्रॉपआउट हैं.

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